22-01-69 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन

"दोपहर भोग के समय वतन का समाचार"

आज वतन में गई तो ब्रह्मा बाबा जैसे यहाँ मुलाकात करते थे वैसे वहाँ ब्रह्मा बाबा ने मुलाकात की। बाबा ने कहा बच्चों के भोजन के समय के अनुसार लेट आई हो। मैंने कहा - बाबा आपका तो एक डेढ बजे भोजन पान करने का समय था। बाबा ने कहा बाबा जब बच्चों के साथ भोजन खाता था तो बच्चों के टाइम भोजन खाता था। उस टाइम से लेट आई हो। फिर बाबा ने ब्रह्मा बाबा को कहा कि ले जाओ ....क्या जाकर देखा कि जैसे यहाँ आफिस में कुर्सी पर बाबा आकर बैठता था, पत्र लिखता था तो वही कुर्सी, वही पैड, वही पेंसिल रखी थी। मैं तो हैरान हुई कि यह सभी चीज़ें वतन में कैसे आ गई। फिर बाबा ने हस्त लिखित पत्र मेरे को दिया। मैंने पढ़ा - जिसमें लिखा हुआ था

"स्वदर्शन चक्रधारी नूरे रत्नों याद-प्यार के बाद, आज अव्यक्त रूप से आप अव्यक्त स्थिति में स्थित हुए बच्चों से मिल रहे हैं।" दूसरे पेज में लिखा था - "बच्चे, जो बापदादा के साकार रूप से शिक्षायें मिली हैं उसका विस्तार करते रहना। अब न बिसरों न याद रहो।" विदाई के बाद बाबा जैसे सही डालते हैं वैसे डाली हुई थी। बाबा ने कहा हमने अपने समय पर पत्र भी लिखा फिर भोजन के लिए इंतजार कर रहे थे। फिर तो भोजन खिलाया। कहा - भल वतन में चीज़ें खाते हैं लेकिन यज्ञ के भोजन की रसना बहुत अच्छी है। फिर बाबा ने भोजन स्वीकार किया। जब हम आ रही थी - तो बाबा ने एक दृश्य दिखाया - एक सागर था जिसमें बहुत तेज लहरें चल रही थी। बाबा ने कहा आप इस सागर के बीच में जाओ। मैं घबराने लगी कि इतनी तेज लहरों में कैसे जाउंगी। फिर बाबा की आज्ञा प्रमाण पांव डाला। जहाँ पाँव रखा वहाँ की लहर शान्त होती गई। फिर देखा कि बापदादा दोनों ने उसमें छोटी-छोटी नावें उस सागर के बीच में डाली लेकिन सागर की लहर आने से गायब हो गई। कोई तो लहर से इधर-उधर होती रही। कोई तो जैसी थी वैसे ही रही हम यह देखने में ही बिजी हो गई। फिर वह सीन खत्म हो गई। बापदादा ने कहा कि यह खेल बाप ने प्रैक्टिकल में रचा है। जिन बच्चों की जीवन रूपी नईया बाप के साथ में होगी वह हिलेगी नहीं। अभी तुम परीक्षाओं रूपी सागर के बीच में चल रहे हो। तो जिनका कनेक्शन अर्थात् जिनका हाथ बापदादा के हाथ में होगा उनकी यह जीवन रूपी नैया न हिलेगी न डूबेगी। तुम बच्चे इसको ड्रामा का खेल समझकर चलेंगे तो डगमग नहीं होंगे। और जिसका बुद्धि रूपी हाथ साथ ढीला होगा वह डोलते रहेंगे। इसलिए बच्चों को बुद्धि रूपी हाथ मजबूत रखने का खास ध्यान रखना है।